महत्व
स्कंध पुराण के अनुसार नवग्रहों में से मंगलग्रह का जन्म स्थान (अवंतिका) उज्जैन शिप्रा तट पर विधमान है, जो कि आज मंगलनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है । स्कन्ध पुराण के अनुसार उज्जैन में अंधकासुर नामक दैत्य ने भगवन शिव की तपस्या से ये वरदान प्राप्त किया कि मेरा रक्त भूमि पर गिरे तो मेरे जैसे अनेक राक्षस उत्पन्न हों । भगवान शिव से अंधकासुर ने ऐसा वरदान प्राप्त कर पृथ्वी पर त्राहि-त्राहि मचा दी..सभी देवता, ऋषियों, मुनियो और मनुष्यो का वध करना शुरू कर दिया…सभी देवगढ़, ऋषि-मुनि एवं मनुष्य भगवान् शिव के पास गए और सभी ने ये प्रार्थना की- आप ने अंधकासुर को जो वरदान दिया है, उसका निवारण करे । भगवन शिव ने स्वयं अंधकासुर से युद्ध करने का निर्णय लिया । भगवान् शिव और अंधकासुर के बीच आकाश में भीषण युद्ध कई वर्षों तक चला ।
युद्ध करते समय भगवान् शिव के ललाट से पसीने कि एक बून्द भूमि के गर्भ पर गिरी, उस बून्द से मंगलनाथ की भूमि के गर्भ से शिव पिंडी स्वरुप में उत्पत्ति हुई । युद्ध के समय भगवान् शिव का शस्त्र अंधकासुर को लगा, तब जो रक्त की बुँदे आकाश में से भूमि के गर्भ पर शिव पुत्र भगवान् मंगल पर गिरने लगी, तो भगवान् मंगल अंगार स्वरूप के हो गए । अंगार स्वरूप के होने से रक्त की बूँदें भस्म हो गयीं और भगवान् शिव के द्वारा अंधकासुर का वध हो गया । भगवान् शिव मंगलनाथ से प्रसन्न होकर २१ विभागों के अधिपति एवं नवग्रहों में से एक गृह की उपाधि दी ।
शिव पुत्र मंगल उग्र अंगारक स्वभाव के हो गए.. तब ब्रम्हाजी, ऋषियों, मुनियो, देवताओ एवं मनुष्यों ने सर्व प्रथम मंगल की उग्रता की शांति के लिए दही और भात का लेपन किया, उससे मंगल गृह की उग्रता की शान्ति हुई ।
मंगल गृह अंगारक एवं कुजनाम से भी जाने जाते है..मेष एवं वृश्चिक राशि के स्वामी हैं, मंगलग्रह …इनका वर्ण लाल है …इनके इष्ट देव भगवन शिव है..नवग्रह में मंगल गृह सेनापति के पद पर विद्यमान रहते है..मंगल गृह का वाहन मेंड (कूजुडु) है । जीवन में ग्रहो का बहुत महत्व है..जन्म से ही मनुष्य ग्रहो के अधीन रहता है…ग्रहो के आधार पर ही मनुष्य अपने कार्य करता है…